शोर शराबे पर नए नियम जारी

*ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग सुबह 6 से रात्रि 10 बजे तक ही होगा, विवाह एवं अन्य उत्सवों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों पर सशर्त निषेधाज्ञा लागू*

उज्जैन 24 फरवरी। वर्तमान में शैक्षणिक संस्थाओं में परीक्षा संचालित की जा रही है तथा शीघ्र ही बोर्ड की परीक्षाएं भी संचालित होंगी। वर्तमान में विवाह एवं अन्य उत्सवों में ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग अत्यधिक मात्रा में किया जा रहा है। उक्त परीक्षाओं तथा विद्यार्थियों के विद्याध्ययन में उत्पन्न होने वाली बाधा को दृष्टिगत रखते हुए जिले की राजस्व सीमा अन्तर्गत ध्वनि विस्तारक यंत्र पर सशर्त प्रतिबंध लगाया जाना नितान्त आवश्यक प्रतीत होता है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री कुमार पुरुषोत्तम ने जिला शिक्षा अधिकारी, पुलिस अधीक्षक एवं प्रबुद्धजनों के सुझाव अनुसार जिले की राजस्व सीमा अन्तर्गत आगामी दिवसों में जिले की कानून एवं शान्ति व्यवस्था, आमजन की सुरक्षा, विद्यार्थियों की सुविधा व अन्य आवश्यक सुव्यवस्थाएं सुनिश्चित करने की दृष्टि से दण्ड प्रक्रिया संहित-1973 की धारा-144(1) के तहत निम्नांकित निषेधाज्ञा लागू की है-

उक्त आदेश 24 फरवरी को पारित कर दिया है। आदेश के तहत कोई भी व्यक्ति, समूह, संस्था या अन्य पक्ष डीजे अथवा बैंड का संचालन, बैंड, डीजे, ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम एवं नियमों के प्रावधानों का पूर्ण पालन करना आवश्यक होगा। कार्यक्रम में यदि ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जाता है तो सर्वोच्च न्यायालय की रीट पिटीशन एवं मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम को दृष्टिगत रखते हुए ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग सुबह 6 बजे से रात्रि 10 बजे तक किया जा सकेगा। निर्धारित परिवेशिय ध्वनि मानक से 10 डेसीबल से अधिक या ध्वनि करने वाले लाउड स्पीकर पूर्णत: प्रतिबंधित रहेंगे तथा साउण्ड सिस्टम निर्धारित ध्वनि मानक से 5 डेसीबल से अधिक उत्पन्न करने वाले साउण्ड सिस्टम प्रतिबंधित रहेंगे।

किसी भी चिकित्सालय, नर्सिंग होम, दूरभाष केन्द्र, न्यायालय, शिक्षण संस्थान, शासकीय कार्यालय, बैंक आदि से 200 मीटर की दूरी के भीतर ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित रहेगा। शान्ति, कानून व्यवस्था तथा आमजन की सुरक्षा व सुविधा में संलग्न शासकीय कर्त्तव्य पर उपस्थित एवं ड्यूटीरत पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों एवं उनके वाहनों के लिये यह निर्देश लागू नहीं होंगे। कानून एवं शान्ति व्यवस्था बनाये रखने हेतु इन्हें आवश्यक वैधानिक छूट प्राप्त होगी।

जिले में पदस्थ अनुविभागीय दण्डाधिकारी आवश्यक होने पर किसी पक्ष के आवेदन पर अपने-अपने क्षेत्र में सम्बन्धित नगर पुलिस अधीक्षक/अनुविभागीय अधिकारी पुलिस से परामर्श कर आवश्यक प्रतिबंध/शर्तों से किसी कार्यक्रम एवं ध्वनि विस्तारक यंत्र की अनुमति प्रदान करने हेतु अधिकृत होंगे।

चूंकि यह आदेश जन-सामान्य से सम्बन्धित है, अत: दण्ड प्रक्रिया संहिता-1973 की धारा-144(1) के अन्तर्गत यह आदेश एकपक्षीय पारित किया गया है। कोई भी हितबद्ध पक्ष दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा-144(5) के अन्तर्गत इस आदेश के विरूद्ध अपनी आपत्ति या आवेदन जिला दण्डाधिकारी के न्यायालय में प्रस्तुत कर सकता है।

कोई भी व्यक्ति मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम में दिये गये प्रावधान तथा आदेश का उल्लंघन करेगा, उसका कृत्य मप्र कोलाहल नियंत्रण अधिनियम के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध माना जायेगा। इसके अन्तर्गत छह माह का कारावास अथवा जुर्माना जो कि एक हजार रुपये तक हो सकेगा या दोनों से दण्डित किया जायेगा। अतिरिक्त ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण नियम-2000 के अन्तर्गत अपराध पाये जाने पर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम-1986 की धारा-15 के अन्तर्गत पांच वर्ष की सजा या एक लाख रुपये जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। इस आदेश का उल्लंधन भारतीय दण्ड संहिता-1860 की धारा-188 के अन्तर्गत भी दण्डनीय अपराध होगा। यह आदेश जारी होने की तिथि 24 फरवरी से आगामी दो माह तक की अवधि के लिये प्रभावशील होगा।

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  विकास शर्मा

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