आधुनिकता की दौड़ से खत्म होती परम्परा – मेला

रोज अपडेट होती जिंदगी, रोज बदलते परिवेश और रहन सहन के मारे हम बेचारे शायद अब चाहकर भी नही रुक पा रहे। मोबाइल और इंटरनेट की परोसी सच्चाई का झूठ और भ्रम जानते हुए भी उसके मोह पाश से खुद को बचा नही पा रहे।

इसी आधुनिकता की भेंट चढ़ रही एक परम्परा और संस्कृति जिसे हम “मेला” कहते हैँ। मेला शब्द न सिर्फ एक उमंग,उत्साह और खुशी का प्रतीक हुआ करता था बल्कि मेला से “मेल” भी होता था।

लोगो के मेल मिलाप का स्थल मेला कहलाया। ये संस्कृति खूब फली- फूली भी। देश भर की तरह उज्जैन जो कि संस्कृति की राजधानी भी कही जाती थी मे मेले का आयोजन मां शिप्रा के किनारे हुआ। देश भर मे लोकप्रिय ये कार्तिक मेला खूब पसंद किया जाता रहा। हम लोगो के लिए ये कार्तिक मास किसी त्यौहार से कम नही रहा।

इस मेले के साथ कई आयोजन भी देश भर मे लोकप्रिय हुए। इस मंच के लिए बड़े कलाकार न केवल निशुल्क आने की जुगाड़ करते थे, बल्कि जमाने के जेक-जरिये तक लगाए जाते।

वर्षो तक मेले के आयोजन के अच्छे-बुरे कई संयोग हुए। लेकिन फिर आया कोरोना का समय। जिसने वर्षो की परम्परा को तोड़ा और 1 वर्ष मेले का आयोजन नही हो पाया। इस वर्ष जब कोरोना का जोर कमजोर हुआ तो फिर से आयोजन के प्रयास हुए। पर अनुमति, गाइड लाइन व विभिन्न व्यवस्थाओ के चलते समय पर आयोजन नही हो पाया। कई अव्यवस्थाएं और 1 साल मुफलिसी की मार झेले व्यापारियों की तैयारियां न होने से आयोजित मेला न सिर्फ फीका है, बल्कि जनता की कमी से भी जूझ रहा है। आयोजक नगर निगम ने अपनी समस्त ताकत भी लगायी और पक्के आयोजन स्थल की सौगात भी दी।

लेकिन इस बार खाली पड़ी दुकाने और लगी दुकानों पर भीड़ का औसत हर बार जैसा नही। मंच के कार्यक्रमों मे दर्शकों के लिए रखी खाली कुर्सियां ही सब बयान कर रही। यह सिर्फ हमारे मेले का नही बल्कि प्रदेश और देश के हर मेले की हालत है। साल दर साल जनता देहाती,पारम्परिक मेले से दूर होती जा रही। निश्चित ही एक परम्परा अधिनिकता की दौड़ मे कमजोर होकर खात्मे की ओर है। मेला शब्द जरूर आधुनिकता ने देशीपन दिखाने को अडॉप्ट कर लिया है। और 5 स्टार होटलों और मॉल मे मॉडर्न मेले लगने लगे हों। पर असली संस्कृति जनित मेल,मिलाप का मेला अब वो नही रहा। मोबाइल मे घुस चुके बच्चे, छोटे होते परिवार और मॉडर्न होने की अनुभूति भी इसका कारण है। निश्चित ही हमें ही इस संस्कृति को बचाने आगे आना होगा।

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  विकास शर्मा

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