मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अपनी नेतृत्व क्षमता, दूरदर्शिता और कर्मठता से प्रदेश को विकास की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का कार्य किया है। 25 मार्च 2024 को वे अपने जीवन के 60वें वर्ष में प्रवेश कर चुके हैं। यह वह अवसर है जब हम उनके जीवन, संघर्ष, उपलब्धियों और प्रदेश में उनके योगदान को समझ सकते हैं।
उनका नेतृत्व केवल राजनीतिक सीमाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने शिक्षा, संस्कृति, पर्यटन, बुनियादी ढांचे और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में भी नए आयाम स्थापित किए हैं। उन्होंने अपने प्रशासनिक कार्यों और योजनाओं से यह सिद्ध कर दिया है कि यदि नेतृत्व कुशल और दूरदर्शी हो, तो राज्य को एक नई दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है।
डॉ. मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1964 को उज्जैन के एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता पूनमचंद यादव ने यह कभी नहीं सोचा होगा कि उनका यह बालक एक दिन पूरे प्रदेश का नेतृत्व करेगा। किंतु जैसा कि गोस्वामी तुलसीदास ने कहा है, “प्रारब्ध पहले रचा, पीछे रचा शरीर,” अर्थात भाग्य पहले ही लिखा जा चुका होता है, फिर शरीर का निर्माण होता है। डॉ. यादव के लिए भी यह कथन पूर्ण रूप से सत्य सिद्ध हुआ।
बाल्यावस्था से ही वे मेधावी और कर्मठ प्रवृत्ति के थे। शिक्षा के प्रति उनकी लगन और नेतृत्व क्षमता उनके छात्र जीवन से ही स्पष्ट रूप से झलकने लगी थी।
डॉ. मोहन यादव ने बीएससी, एलएलबी और एमबीए की शिक्षा प्राप्त की। वे राजनीति शास्त्र में पीएचडी धारक हैं। उनकी उच्च शिक्षा की पृष्ठभूमि ही बाद में उनके सफल प्रशासनिक नेतृत्व का आधार बनी।
उनकी नेतृत्व क्षमता पहली बार छात्र राजनीति में देखने को मिली, जब वे वर्ष 1982 में माधव विज्ञान महाविद्यालय के छात्रसंघ के संयुक्त सचिव और वर्ष 1984 में अध्यक्ष चुने गए। उस समय उनकी आयु मात्र 17 और 19 वर्ष थी।
इसके बाद उन्होंने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) में विभिन्न पदों पर कार्य किया और राष्ट्रीय महामंत्री के रूप में भी सेवाएं दीं। छात्र जीवन में ही उन्होंने अपने ओजस्वी विचारों और संगठनात्मक कुशलता से अपनी पहचान बना ली थी।
डॉ. मोहन यादव की राजनीति में सक्रिय भूमिका विद्यार्थी परिषद से प्रारंभ हुई, लेकिन उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के माध्यम से मुख्यधारा की राजनीति में कदम रखा। वे भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य और अखिल भारतीय सांस्कृतिक प्रकोष्ठ के सह संयोजक भी रहे।
2003: मध्यप्रदेश में जब उमा भारती के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी, तब 2004 में उन्हें उज्जैन विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने शहर के विकास की नई योजनाओं को गति दी।
2010: उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद के बाद 2011 से 2013 तक वे मध्यप्रदेश पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष बने। उनके कार्यकाल में प्रदेश को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिला।
2013: पहली बार उज्जैन दक्षिण सीट से विधायक निर्वाचित हुए।
2020: मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री बने और नई शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन किया।
2023: 13 दिसंबर को वे मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बने और राज्य को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने का संकल्प लिया।
डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद मध्यप्रदेश में कई ऐतिहासिक निर्णय लिए गए। उनके कुशल नेतृत्व में प्रदेश में उद्योग, रोजगार, शिक्षा, पर्यटन और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में व्यापक सुधार हुए।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट: भोपाल में आयोजित इस समिट ने प्रदेश में औद्योगिक क्रांति की नींव रखी।
आईटी पार्क: युवाओं को तकनीकी शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए नए आईटी पार्क विकसित किए जा रहे हैं।
उद्योग नीति: प्रत्येक संभाग में नए उद्योग लगाने की नीति बनाई गई, जिससे लाखों युवाओं को अपने ही राज्य में रोजगार मिल सके।
उज्जैन में होने वाले सिंहस्थ महाकुंभ की भव्य तैयारी की जा रही है।
शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर 30 किलोमीटर तक पक्के घाट बनाए जा रहे हैं, जिससे श्रद्धालुओं को स्नान में कोई परेशानी न हो।
पहली बार शिप्रा नदी में केवल शिप्रा जल से स्नान होगा, जिसके लिए कान्ह डक्ट परियोजना लागू की गई है।
54 नए महाविद्यालयों की स्थापना
राष्ट्रीय शिक्षा नीति का सफल क्रियान्वयन
विक्रमोत्सव का 100-दिवसीय आयोजन, जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को सशक्त बनाया गया।
उज्जैन-इंदौर फोरलेन को सिक्स लेन में बदला जा रहा है। उज्जैन में मध्यप्रदेश की पहली मेडिसिटी स्थापित की जा रही है, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं अत्याधुनिक होंगी। उज्जैन में चिड़ियाघर की स्थापना का कार्य प्रगति पर है।
उज्जैन एयरपोर्ट की स्थापना के लिए प्रयास जारी हैं। महाकाल लोक के निर्माण के बाद उज्जैन को एक नई पहचान मिली।
महाकाल मंदिर में प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन कर रहे हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए विशेष योजनाएं लागू की गईं। हर जिले में उद्योग स्थापित करना।
प्रदेश को तकनीकी और डिजिटल हब बनाना।
गांव-गांव तक रोजगार और शिक्षा का विस्तार।
प्रदेश को भारत का औद्योगिक और सांस्कृतिक केंद्र बनाना।
डॉ. मोहन यादव ने अपने जीवन के 60 बसंत पूरे कर लिए हैं, और उनके नेतृत्व में मध्यप्रदेश तेजी से स्वर्णिम युग की ओर अग्रसर हो रहा है। उनकी योजनाएं, नीतियां और दृढ़ संकल्प प्रदेश को नए ऊंचाइयों तक ले जा रहे हैं।
उनकी जीवन यात्रा यह संदेश देती है कि यदि कोई व्यक्ति मेहनत, ईमानदारी और समर्पण से अपने लक्ष्य की ओर बढ़े, तो सफलता निश्चित रूप से उसके कदम चूमती है। उनका नेतृत्व मध्यप्रदेश के लिए एक नई रोशनी लेकर आया है, जो प्रदेश को विकास, समृद्धि और गौरव के नए युग में प्रवेश करा रही है।