कुछ सप्ताह पहले जब निजी अस्पतालों में डेंगू के मामले या मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने के मामले सामने आ रहे थे तब मलेरिया विभाग, स्वास्थ्य विभाग और नगर पालिका ने इसे गंभीरता से नहीं लिया था। हमेशा की तरह मलेरिया विभाग लार्वा सर्वे, दवा छिड़काव और नगर पालिका का अमला फॉगिंग मशीन से दवा छिड़काव का दावा करता रहा, लेकिन दावों से इतर विभागों ने कभी सूचना जारी नहीं की कि कब-कब कहां-कहां कार्रवाई की गई है और आगामी कार्रवाई का कैलेंडर या शेड्यूल भी जारी नहीं किया गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि शहर के नागरिक आज वायरल फीवर, मलेरिया एवं डेंगू जैसी बीमारियों से ग्रसित होकर जूझ रहे हैं।
शहर में बीमारियों का आलम यह है कि इससे पहले इतनी बडी संख्या में मौसमी बीमारियांं कभी पहले नहीं देखी गई। स्थिति कितनी गंभीर है इसका पता इसी बात से लगाया जा सकता है कि शहर के नामचीन निजी अस्पतालों में पांव रखने की जगह नहीं है तथा सुबह 7 बजे से ही मरीज एवं उनके परिजन चिकित्सालयों में लाइन लगाकर चिकित्सकों को दिखाने के लिए खड़े हुए हैं। इन सब परिस्थितियों के बाद भी न तो स्थानीय प्रशासन जागा है और ना ही स्वास्थ्य विभाग का अमला। जिसके चलते क्षेत्र के नागरिकों में प्रशासन के प्रति गंभीर आक्रोश भी अब देखा जाने लगा है।