👹 तिरिभिन्नाट एक्सप्रेस 👹
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मै तो हूँ भोला नाथ, मुझे कोई फर्क नही पड़ता
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मै तो भोला हूँ, न मान की भूख,न अपमान की चिंता..जो आये सो पाए..मन मे श्रद्धा भरी हो, खाली हाथ आये,..भरी झोली से जाए..
..कोई मेरे सामने अपना स्थान ऊंचा बनाये..या जूते पहन मेरे आँगन आये..मुझे फर्क नही पड़ता..क्योंकि मै तो भोला हूँ
आप पत्थरो का “वन” बनाओ..मेरी खूब झाँकि सजाओ..श्रद्धा से हजारों किलोमीटर से आये मेरे भक्तो को थकाओ..अंतिम दर्शन सोचकर आते बुजुर्गो को खूब धकियाओ..बच्चों को प्यास से बिलखाओ.. करोड़ों खर्चो..कैमरे लगवाओ..भक्तो के पैर झुलसाओ..माननियों के लिए कारपेट बिछवाओ..
मुझे फर्क नही पड़ता..क्योंकि मै तो भोला हूँ
तुम मुझे वातानुकूलित गृह मे ढूंढते..लाइन रोककर दर्शन पाते..सीधे परिसर मे गाडी भी लाते..एक से एक नए रास्ते बनाते..आप vip दनदनाते आते..साथ मे छर्रे- कटोरी भी थाली बजाते..भक्तो के मोबाइल लावारिस जैसे रखवाते..आपके पट्ठे सेल्फी खिचवाते..
मुझे फर्क नही पड़ता..क्योंकि मै तो भोला हूँ
मै सृष्टि का पालनहार कहलाता..बुराई को हरता.. सच को जिताता..तुम मुझ पर खूब करो प्रयोग..जितना हो उतना करो दुरूपयोग..मै तो भक्तो की भक्ति का बलिहारी, मै कैलाशी..गर्भगृह का नही हूँ वासी..मै रहता अपने भक्तो के पास..जो धूप मे जलकर रखते दर्शन की आस..प्यासे रहकर..धकियाए,लताड़े..सूखे कंठ और व्यवस्था के सताये..
..मै बनता हूं उनकी हिम्मत..करता उनके सारे काम..मै हूँ उनका नाथ..क्योंकि मै हूँ भोलेनाथ
तुमको अपनी ढपली अपना राग मुबारक..पत्थरो का वो वन मुबारक..मै तो भस्म का करता हूँ श्रृंगार..सारी अवंतिका मेरा घर है..यहाँ का हर घर और आँगन..है इस भोले का महाकाल प्रांगण..
..तुम खूब बनाओ आधुनिक मंदिर..खूब लगाओ धन..मेरा असली स्थान था,है और रहेगा..मेरे भक्तो का निर्मल मन..
क्योंकि मै तो भोला हूँ
जय जय श्री महाकाल
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विकास शर्मा
9827076006
दैनिक अमर श्याम उज्जैन/
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