“कालभैरव पर श्रद्दालु से मारपीट…गलती किसकी: जांच का विषय”*

उज्जैन् मे जैसे जैसे श्रद्धालू ओर पर्यटक बढ़ रहे, वैसे वैसे आये दिन श्री महाकाल हो या अन्य मंदिर हो, रोज नए रायते देखने को मिलते हैँ। सड़को पर भागते रिक्शे हों,या होटल वालो की अति हो, ले देकर विश्व प्रसिद्ध महाकाल बाबा की नगरी की छवि धु मिल हो रही है।

न् तो पुलिस कोई लगाम लगा पा रही ओर न ही प्रशासन का मंदिर की व्यवस्थाओ पर कोई नियंत्रण है। कभी खबर आती है कि दर्शन के नाम पर कर्मी ने पैसे ले लिए, लेकिन दूसरा पक्ष कोई नही देखता जिसमे 10000 मासिक सेलेरी वाले कर्मचारी को कभी 6000 तो कभी मात्र 150 रु हाथ लगते हैँ। राखी नजदीक है पर न तो महिला कर्मियों को छुट्टी जाने की व्यवस्था है ओर न सबको सेलेरी मिली है।

आज् काल भैरव मंदिर के गार्डो द्वारा एक श्रद्धालू के साथ घेरकर मारपीट का video वायरल हो रहा है।

सब अपनी अपनी बाते कर रहे जिसका खुलासा जांच के बाद ही होगा, लेकिन एक सच्चाई यह भी है कि गार्ड हो या कोई छोटा कर्मी, हर कोई उनसे बदतमीजी आसानी से करता है।

इन् छोटे कर्मियों को अपमान से बचाने वाला कोई नही। ते लोग जब कम्पनी को शिकायत करते हैँ तब श्रद्धालू उठाकर उन पर रिश्वत का आरोप जड़ देता है।

महाकाल मे चलने वाली e कार्ट मे यदि बुजुर्ग के साथ आये पूरे परिवार को बैठाने से मना किया तो वे लोग उसके साथ गाली गलौज ओर मारपीट तक कर देते हैँ।

काल् भैरव वाली घटना मे असलियत जो भी हो, पर् यह तो सच है कि जरा सी तन्खवाह मे अपने पेट की खातिर कड़ी मेहनत करने वाले इतने सारे गार्ड जबरन तो उस पर पिल पड़े नही होंगे।

– विकास शर्मा

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  विकास शर्मा

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