उज्जैन….
महाकाल मंदिर की हर गतिविधि पर मुख्यमंत्री की बारीक नजर, लेकिन अधिकारियों के आदेश को घोलकर पी जाती है कृष्णा सिक्यूरिटी सर्विस
उज्जैन, निप्र। विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दर्शन के लिए देशभर की जनता उमड़ रही है और प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दे रखे है कि महाकाल मंदिर को लेकर किसी भी प्रकार की लापरवाही या कमी न हो, ताकि मंदिर की व्यवस्थाएं दिन-प्रतिदिन बेहतर हो सके। इसके बावजूद भी यहां का ढर्रा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन दर्शन व्यवस्था और सुरक्षा को लेकर जितने भी प्रयास करता है, उसकी दुर्गति यहां पर तैनात की गई निजी कंपनियां कर देती है। आये-दिन यहां के कर्मचारियों द्वारा दर्शनार्थियों से बदसलूकी और दर्शन के नाम पर पैसे लेने के समाचार सामने आते है। अधिकारियों द्वारा त्वरित उस कर्मचारी को या तो पद से हटा दिया जाता है या फिर उसे किसी दूसरे स्थान पर लगा दिया जाता है। इससे न तो स्थाई हल कभी निकला और न हीं निकल पाएगा। इसके पीछे का असली कारण हमने पता किया जो है यहां ठेके पर कर्मचारी नियुक्त करने वाली कंपनी कृष्णा सिक्यूरिटी एण्ड लेबर सप्लाई सर्विस।
कुछ दिनों पहले यहां के कर्मचारियों के खातों में तनख्वाह के नाम पर महज कुछ सौ रूपये क्रेडिट हुए। कर्मचारियों ने विरोध जताया कि उनकी तनख्वाह १०-१२ हजार रूपये है फिर किसी के खाते में ५०० तो किसी के खाते में १५००, किस लिहाज से आए। कंपनी की तरफ से बताया कि अनुपस्थिति के चलते पैसे काटे गए हैँ। जबकि कर्मी महीने में एक-दो बार छुट्टी पर रहा था, इसके बावजूद थंब से लगने वाली हाजिरी के सिस्टम में हुई गड़बड़ी के कारण ऐसा हुआ था लेकिन कंपनी ने सभी के पैसे डकार लिये। गुस्साएं कर्मचारियों ने जिलाधीश के महाकाल आगमन पर अपनी पीड़ा से उन्हें अवगत कराया, जिस पर जिलाधीश ने कंपनी को लताड़ा और वेतनवृद्धि के आदेश दिये। इसके बाद कंपनी ने अप्रैल २०२४ में बढ़ी हुई तनख्वाह कर्मचारियों को एक बार दी, उसके बाद चुनावी प्रक्रिया शुरू हो गई और हर बार जैसा ही वेतन दिया गया। आज केएसएस कंपनी की तरफ से एक पत्र सभी कर्मचारियों के पास भेजकर उनसे हस्ताक्षर लिये जाकर उक्त बढ़ी हुई २००० की राशि को इस माह की तनख्वाह से काटने की जबरन स्वीकृति ली जा रही है। कंपनी का कहना है कि श्रम विभाग द्वारा जारी आदेश क्र. ६/११/अन्वे./५/२०२४/१५-०८-२०१७-१६०६६ इन्दौर दिनांक २४-०५-२०२४ से वेतन काटने का आदेश प्राप्त हुआ है।
इस मामले में जिलाधीश नीरज कुमार सिंह से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि आपने यह मामला मेरे संज्ञान में डाला है तो मैं शीघ्र इसे दिखवाता हूं।
महाकाल मंदिर प्रशासक गणेश धाकड़ भी इस मामले से अनभिज्ञ दिखे और उन्होंने भी यही कहा कि वे इसकी जांच करवाएंगे।
एक तरफ तो प्रशासन भरपूर प्रयास कर रहा है कि महाकाल मंदिर की समस्त व्यवस्थाएं विश्वस्तरीय हो जाए और दूसरी तरफ प्रशासन के समस्त प्रयासों को पलीता महाकाल मंदिर में कार्यरत एजेंसी लगा रही है। थंब मशीन में कई बार इंप्रेशन सेव नहीं होता, जिससे कर्मचारी की पूरे दिन की तनख्वाह कट जाती है और महज कुछ हजार के लिए दिनभर महाकाल की सेवा में लगे कर्मचारी घर चलाने के लिए रिश्वतखोरी जैसे काम करते है, जिससे मंदिर की छवि को सीधा नुकसान होता है।