उघाड़े जमाने मे क्या वेलेंटाइन का महत्व

👹 तिरिभिन्नाट एक्सप्रेस 👹

भिया राम..आज आशिक होन का बड़ा भारी दिन है..मतलब यूँ के लें कि आज प्यार मोहब्बत के मजदूर होन के हफ्ते की सेलेरी मिलने का दिन है..😜
सीधे सट बोलू तो आज वेलेंटाइन डे है…
पर अपना ये केना पड़ रिया है के ये कैसा वेलेंटाइन..उघाड़े जमाने मे क्या तो प्रेम ने कैसी मोहब्बत..
..जब मन करे अपने शोना-बाबू को msg कर लो..कॉल कर लो..आधी रात तक गटर-पटर कर लो…
.. वेलेंटाइन तो हमारे जमाने मे होता था..हफ्ता भर का प्रोसेस तो अब सुरु हुआ..हमारे टाइम बस 14 तारीख का ही मेन त्यौहार होता था 🤣
अपना जो बी “आयटम” होये उसको गिफ्ट देना मतलब भोत सारी अग्निपरीक्षा..पेले तो बजट की घोर समस्या..दूसरी गिफ्ट मे दें क्या ये दिक्कत..तीसरी ये के वो गिफ्ट एक दिन पेले ले लो तो छुपाओ काँ ये समस्या..
ने अपना “मामला” चल रिया इसका राजदार बनाने वाली कोई फ्रेंड या दूर पास की बेन की अकड़ झेलो 🤣


..अब जैसे तैसे जुगाड़ करके गिफ्ट लेने जाओ तो गिफ्ट की दुकान के आसपास ऐसा डर लगता के जैसे अफीम चरस खरीदने जा रिये हो 🤣
अब गिफ्ट लें कौन सा ये चेलेंज..सामने वाली बी ऐसी डुंडी-गपोलि मिलती के गिफ्ट छुपा पायेगी के नी..ये अलग टेंशन..😢
ग्रिटिंग कार्ड का बड़ा चलन था..दिल वाले..कार्ड मे कार्ड..फूल वाला..म्यूजिक वाला..चॉकलेट वाला..खूब एक से एक..ने इत्ते प्यारे कार्ड ढूंढते ..वो बी 2 चोंटी वाली स्कूल ड्रेस वाली देवी बड़ी मुश्किल से मिलने को राजी होती..और सबसे ज्यादा राज ये कार्ड कॉपी मे से घरवाले पकड़े लेते तो ही ओपन होते..🤣🤣
“यां नी जाउंगी..वा नी जाउंगी..”
ने बड़ी मुश्किल से आती तो कोई न कोई सहेली साथ मे.. अपनी बी फुल टाइम ऐसे फटती के जैसे तस्करी का माल डिलीवर करने जा रिये हो..
वो बी अपनी फ्रेंड को दूर से भेजती के “जा लिया क्या दे रिया ये..”
☹️☹️
ने वो पोस्टमेंन ऐसी अकड़ती जैसे 2 दुश्मन देश के बीच की मध्यस्थ होय..
और कबी अपना आइटम थोड़ा बेखौफ होय तो साथ मे बैठ जाओ..अपन बी 1 लफंडर दोस्त को लेके जाते..जो उसकी फ्रेंड को संभाल ले..
2 min की मुलाक़ात और डर भी 10 प्रकार के..
अपने रिश्तेदार,उसके रिश्तेदार..अपने पड़ोसी..उसके पड़ोसी..पुलिस..पेलवान..ने सबसे बचे तो हिंदूवादी संगठन..😜
बोलते कम और कूटते ज्यादा..🤣🤣
पर अब सब बदल गया..बाइक पे घर के सामने से बैठ के छोर छोरी होन निकल रिये..दिन भर मोबाइल मे msg, कॉल कर लेते..रेस्टोरेंट मे जब मन हो चले जाए..सब गपड़ सपड़ कर लेते..आज इसके ने कल उसके साथ..10% ही होंगे जो सच मे प्रेम का ये दिन सीरियस लेते होंगे..उघाड़े जमाने मे सब जायज हो गया..आप और हम भी इसको मॉडर्निज़्म मे स्वीकार चुके..1 दिन का वो दिन अब 7 दिन का हो चला…ये डे.. वो डे..
..पर सब सिर्फ डे ही रह गया..हम भी बदल गये..वक़्त भी बदल गया..
तो जिसको विरोध करना है वो विरोध करे..जिसको वेलेंटाइन मानना हो वो अपनी मस्ती मे रहे..अपन तो निमट लिए..अब पुरानी बातें लिख दी..आप पढो और मजे लो।
जा रिया अब
भारत माता की जय
विकास शर्मा
दैनिक अमर श्याम उज्जैन
9827076006
14/02/2022
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  विकास शर्मा

संपादक:विकास शर्मा

मो.:91-98270 76006